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‘रामलीला’ की लांचिंग से पहले शुरू हुई महाभारत
संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘रामलीला’ रिलीज होने से पहले विवादों से घिर गई है।
इस पर रोक की मांग जोर पकड़ने लगी है।
कई सामाजिक कार्यर्ताओं ने यूपी में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक की मांग उठाई है। मामला अदालत तक पहुंच गया है।
फिल्म पर सबसे ज्यादा आपत्ति इसके नाम को लेकर है। सेंसर बोर्ड और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में सूचना नहीं दी है।
प्रदेश में इसके प्रसारण पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री से भी अपील की गई है।
लखनऊ में रामलीला फिल्म को लेकर फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली, कलाकार रणबीर सिंह, दीपिका पादुकोण समेत फिल्म से जुड़े 19 लोगों के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है।
वी फॉर ऑल संस्था के अध्यक्ष विवेक चित्रांशी की ओर से दायर परिवाद में फिल्म को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया गया है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह ने वादी का बयान दर्ज करने के लिए 19 नवंबर की तारीख तय की है।
सामाजिक एवं आरटीआई एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर ने भी इस फिल्म के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि इस फिल्म का नाम ‘रामलीला’ है लेकिन इसका इस पवित्र शब्द से इसका कोई वास्ता नहीं है।
इस फिल्म में कई अंतरंग दृश्य और भद्दे डायलॉग हैं। फिल्म का जो नाम प्रचारित किया जा रहा है, वह भी आपत्तिजनक है।
आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा का भी कहना है कि उन्होंने भी सेंसर बोर्ड और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से यह सूचना मांगी थी कि यह फिल्म किस नाम के साथ पास की गई है।
इसके प्रमाणन संबंधी कई दस्तावेज भी मांगे थे लेकिन आज तक सूचना नहीं दी गई।
इस फिल्म का नाम बदलने की भी अपील केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से की थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रदेश में इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है।
इस पर रोक की मांग जोर पकड़ने लगी है।
कई सामाजिक कार्यर्ताओं ने यूपी में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक की मांग उठाई है। मामला अदालत तक पहुंच गया है।
फिल्म पर सबसे ज्यादा आपत्ति इसके नाम को लेकर है। सेंसर बोर्ड और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में सूचना नहीं दी है।
प्रदेश में इसके प्रसारण पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री से भी अपील की गई है।
लखनऊ में रामलीला फिल्म को लेकर फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली, कलाकार रणबीर सिंह, दीपिका पादुकोण समेत फिल्म से जुड़े 19 लोगों के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है।
वी फॉर ऑल संस्था के अध्यक्ष विवेक चित्रांशी की ओर से दायर परिवाद में फिल्म को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया गया है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह ने वादी का बयान दर्ज करने के लिए 19 नवंबर की तारीख तय की है।
सामाजिक एवं आरटीआई एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर ने भी इस फिल्म के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि इस फिल्म का नाम ‘रामलीला’ है लेकिन इसका इस पवित्र शब्द से इसका कोई वास्ता नहीं है।
इस फिल्म में कई अंतरंग दृश्य और भद्दे डायलॉग हैं। फिल्म का जो नाम प्रचारित किया जा रहा है, वह भी आपत्तिजनक है।
आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा का भी कहना है कि उन्होंने भी सेंसर बोर्ड और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से यह सूचना मांगी थी कि यह फिल्म किस नाम के साथ पास की गई है।
इसके प्रमाणन संबंधी कई दस्तावेज भी मांगे थे लेकिन आज तक सूचना नहीं दी गई।
इस फिल्म का नाम बदलने की भी अपील केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से की थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रदेश में इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है।
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