Sunday, November 10, 2013

मुगले आज़म की नाराजगी से डर गयी सरकार, स्टाफ पर होगी कार्यवाही

मुगले आज़म की नाराजगी से डर गयी सरकार, स्टाफ पर होगी कार्यवाही

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मुगले आज़म की नाराजगी से डर गयी सरकार, स्टाफ पर होगी कार्यवाही

                 लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान अपनी बदमिजाजी के लिए काफी चर्चित हैं| उनके शिकार उनकी अपनी पार्टी के नेता उनके अधिकारी समय समय पर होते रहते हैं| ताजा मामला है उनके स्टाफ का उनके अंडर में काम न करने का। आजम के स्टाफ ने 3 दिन पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चिट्ठी लिख कर बता दिया था कि मंत्री के अपमानजनक रवैये के चलते वो अब उनके अंडर काम नहीं कर सकते| इसके बाद भी अभी तक शासन ने इन कर्मियों को कोई जवाब नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक सरकार नहीं चाहती कि आज़म इस मुड़े को लेकर एक बार फिर कोप भवन में चले जाएँ| मिली जानकारी के मुताबिक सरकार इन कर्मियों के खिलाफ ही कार्रवाई करने का मन बना रही है|

आलम ये है कि शासन इन कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का मन बना चुका है लेकिन इसके पहले सक्षम अधिकारी ये देख रहे हैं कि यदि इन कर्मियों पर कोई कार्यवाही कि गयी तो क्या परिणाम सामने आ सकते हैं| 

गौरतलब है कि आजम के स्टाफ ने 3 दिन पहले उनपर अपमानित करने का आरोप लगाते हुए कार्यालय जाना बंद कर दिया था। इसके साथ ही चिट्ठी लिख सचिवालय प्रशासन से किसी अन्य विभाग में तैनाती की मांग की थी। इसके बाद शासन स्तर पर इन सभी पर दबाव बनाया जाने लगा| इसकी भनक मिलते ही कर्मचारी संगठनों ने उनका खुल कर समर्थन कर दिया और शासन कि मंशा अधूरी रह गयी

सचिव सचिवालय प्रशासन अरविंद नारायण मिश्रा इस मामले पर नज़र बनाये हुए हैं और सम्भव है कि दिवाली बाद इनको दंडनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़े| इसके साथ ही उन्होंने कई अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो विभिन्न कर्मचारी नेताओं से मिलकर स्थति का जायजा लें| 

इसके साथ ही खबर मिल रही है कि मंत्री द्वारा कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार का मामला राज्यपाल के सामने भी पहुंच गया है। लखनऊ की आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने यह मामला राजभवन पहुंचाया है। उन्होंने इस मामले में राज्यपाल बीएल जोशी से हस्तक्षेप की मांग की है।

इस मुद्दे पर सचिवालय संघ कार्यकारिणी ने कड़ी नाराजगी जताई है| संघ के मुताबिक मंत्री द्वारा सचिवालय कर्मचारियों के विरुद्ध की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का संज्ञान न लेकर सरकार उल्टे पीड़ित पक्ष के खिलाफ ही कार्रवाई का दबाव बना रही है। यदि कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाईहोती है तो उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। 

इस मामले में पीड़ितों के पक्ष में सचिवालय संघ, सचिवालय निजी सचिव संघ, अपर निजी सचिव संघ, सचिवालय राजपत्रित अधिकारी संघ, कंप्यूटर सहायक सहित सहायक समीक्षा अधिकारी संघ भी खड़े हो गए हैं|

फिलहाल हमारा तो यही कहना है कि इस मामले की पूरी जाँच होनी चाहिए| लेकिन यहाँ मुद्दा तो ये भी है कि जाँच करेगा कौन और जाँच के आदेश देगा कौन| क्योंकि आजम के ये बर्दास्त नहीं करने वाले कि कोई उनसे जुड़े मामले में जाँच करे| लेकिन इतना तो तय है कि इस मुद्दे पर कोई एक नाराज होगा और जो नाराज होगा वो लोकसभा चुनाव में सपा का ही नुकसान करेगा| लखनऊ के राजनैतिक गलियारे में ये मामला इस समय काफी चर्चा का विषय है सभी विरोधी दल इस पर नज़र लगाये हैं और वो इस मुद्दे को सपा के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं|             

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