Saturday, November 16, 2013

उप्र सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में फंसा आरक्षण का पेंच : नियुक्तियां और बिलम्बित होने की सम्भावना

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में रिक्त आठ सूचना आयुक्तों की नियुक्ति दिन प्रतिदिन नए विवादों में फंसती जा रही है या यूँ कहें कि सरकार की मंशा ये नियुक्तियां लोक सभा चुनावों के बाद करने की है ताकि निरंकुश होकर मनमानी नियुक्तियां कर सकें lसम्भवतः यही कारण है कि प्रदेश में सूचना के अधिकार के नोडल विभाग ( प्रशासनिक सुधार विभाग ) और मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा नित नए नए उपक्रम कर ऐसे शगल किये जा रहे हैं कि ये नियुक्तियां लटकी रहे l


प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा पहले नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया जिसमें शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की गयी , फिर संशोधित  विज्ञापन जारी कर शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को समाप्त किया गया तथा  अभ्यर्थियों से दो हज़ार रुपये का शुल्क लेने के बाबजूद चयन के आधार पर नियुक्तियां करने के स्थान पर नामांकन के आधार पर नियुक्तियां करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है जो यह स्थापित करती है कि सरकार की मंशा इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में इतनी गलती कर देने की है कि उन्हें न्यायालय में चुनौती देकर कोई भी रुकवा सके और सरकार  सूचना के अधिकार के दवाव से मुक्त रह कर मनमानी कर सके l मेरा मानना है कि यदि योग्यता के आधार नियुक्ति की जातीं तो समिति में मतभेद का प्रश्न ही नहीं था l समिति के सदस्यों द्वारा इतना अधिक मतभेद होना कि निर्णय लेना भी सम्भव न हो , यह सिद्ध करता है कि समिति चयन नहीं कर रही है अपितु बारगेनिंग कर नामांकन ही हो रहे हैं जो किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है l


मैंने बीते 19 अगस्त को सूबे के मुखिया को सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में नियमानुसार आरक्षण व्यवस्था लागू करने का अनुरोध किया था l यह पत्र नियमानुसार प्रशासनिक सुधार विभाग को संदर्भित होना चाहिए था किन्तु मुख्यमंत्री  कार्यालय ने उस समय यह पत्र जानबूझकर सूचना विभाग को अंतरित किया ताकि आरक्षण के सम्बन्ध में ससमय निर्णय न लिया जा सके और प्रकरण उलझा रहे l

अब सूचना विभाग के संयुक्त सचिव डा० अनिल कुमार  ने  मुख्यमंत्री द्वारा सूचना आयुक्तों की नियुक्तिओं में आरक्षण व्यवस्था लागू करने सम्बन्धी मेरा मांग पत्र प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2  के सचिव को आवश्यक कार्यवाही हेतु अंतरित किया है l


सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता बाली तीन सदस्यीय समिति की बैठक हो चुकी है और आठ नामों की संस्तुति राजभवन को किये जाने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है ऐसे में प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा इस इस पत्र पर कार्यवाही किये जाने की स्थिति में सूचना आयुक्तों की नियुक्तिओं के और लटकने की सम्भावना है l



प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2  के सचिव को अंतरित पत्र की स्कैन्ड कॉपी संलग्न है l


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