Tuesday, November 12, 2013

'रामलीला' पर एक और क़ानूनी मार

'रामलीला' पर एक और क़ानूनी मार

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`रामलीला` पर एक और क़ानूनी मार
Tuesday, November 12, 2013 16:10 IST
By Santa Banta News Network
संजय लीला भंसाली की आगामी फ़िल्म 'रामलीला' के रिलीज़ होने में सिर्फ तीन दिन बाकी है, और यह फ़िल्म एक बार फिर से अपने नाम को लेकर कानूनी पचड़े में पड़ती नजर आ रही है। फ़िल्म के खिलाफ हाल ही में यूपी के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने एक याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि या तो फ़िल्म का नाम बदलो या फिर सार्वजनकि मत करो।

15 नवंबर को रिलीज हो रही फ़िल्म 'रामलीला' भले ही 'टॉक ऑफ़ द टाउन' बनी हुई हो और दर्शकों को इसका बेसब्री से इंतजार हो। लेकिन यूपी की एक सामाजिक कार्यकर्त्ता उर्वशी शर्मा ने फ़िल्म के नाम पर आपत्ति जताते हुए यूपी के मुख्य मंत्री से फ़िल्म के सार्वजनकि प्रदर्शन से संबंधित मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

जिसके बाद अखिलेश यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फ़िल्म के खिलाफ याचिका दायर कर दी है, जिसमें मांग रखी गई है कि या तो फ़िल्म का नाम बदलों और या फिर इसे प्रदर्शित मत होने दो।

इस मामले पर अपने विचार रखते हुए उर्वशी शर्मा कहती है, " मैंने राज्य के लोगों की ओर से राज्य के मुख्य मंत्री से आग्रह किया है, वह फ़िल्म 'रामलीला' के निर्माता से कहें कि फ़िल्म का शीर्षक 'रामलीला' से हटाकर इसे सिर्फ गोलियों की रासलीला कर दिया जाए।

वह कहती है, और साथ ही यह भी आग्रह करती हूं, कि अगर फ़िल्म निर्माता फ़िल्म से 'रामलीला' शब्द को नहीं हटाते तो, फिल्म प्रमाणन राष्ट्रीय बोर्ड द्वारा, धारा 4, 5 और 5 ए सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952 के तहत फ़िल्म के सार्वजनिक प्रदर्शन को प्रदर्शन प्रमाणपत्र ना दिया जाए।

शर्मा आगे कहती है, "यह मामला राज्य के लाखों लोगों की भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ है। वह कहती है कि जो प्रोमोशनल इवेंट में दिखाया गया 'रामलीला' शब्द है, वह फ़िल्म की सामग्री के विपरीत है।

शर्मा की प्रार्थना के बाद राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, कि फ़िल्म का शीर्षक जो भगवान राम से सम्बंधित है, लोगों की भावनाओं को प्रभावित करता है, और जिसे इस तरह की फिल्मों के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता।

शर्मा कहती है, "मैंने यूट्यूब पर, फ़िल्म के सभी प्रोमोज़ में से एक को देखा है, और फ़िल्म की क्लिपिंग देखते समय फ़िल्म के प्रोमो में कई सारे आपत्तिजनक डायलॉग्स और सींस भी देखे है। मेरे एक सामाजिक कार्यकर्त्ता होने के नाते ये केवल अशिष्ट, आक्रामक और निरर्थक ही नहीं थे बल्कि हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को भी आहत करते है।

सामाजिक कार्यकर्त्ता ने, अपनी इस याचिका को हस्तक्षेप के लिए सेंसर बोर्ड और प्रधानमंत्री कार्यालय दोनों ही जगह दायर किया है। 

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